Friday, 25 November 2022

 घर में बीवी डांटे फटकारे या उठाके आपको पटके 

दिल टूट गया प्यार छूट गया 

तो निराश ना हो आज हीं Join करें 🏃🏃

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यहां आकर आपके मन को अपार शांति मिलेगी।

यहां अनुभवी, महाज्ञानी, महामंडलेश्वर, कुचमादेश्वर, दिव्य ज्ञानी, हास्य-व्यंग्य शिरोमणि, कुचरणीबाज, और प्रकांड विद्वानों का साथ मिलेगा।

 जीवन में आनन्द मंगल की अनुभूति होगी टेंशन आपसे कोसों दूर भागेगा।

विशेष बात यह है कि यहां आपके कई अनसुलझे सवालों का जवाब बिना पूछे ही किसी ना किसी पोस्ट या कमेंट में मिलते जाएंगे।

हंसते रहो हंसाते रहो यही तो खासियत है अपनी पंचायत की।

जय पंचायत - जय पंचायती

Thursday, 17 November 2022

 *सोचने समझने वाली बात*

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*हर दूसरी पोस्ट आफताब को कौस रही है, आफताब कहां गलत है? उसने वही किया जो उसे करना था। गलती किसकी है? 


आप लोगों को कमाने से फुर्सत नहीं है, 

औरतों को किट्टी पार्टियों से फुर्सत नही,

साथ बैठकर खाना खाने बात करने का समय नहीं है, 

बच्चे ट्यूशन जा रहे हैं वो देखने का समय नहीं है।


कई कई मां बाप को तो पता ही नहीं होता बेटे के चेहरे पर मुंछें उग आई हैं। फीस जमा कराई और हो गया कर्तव्य पूरा। परिवार में पिता का खौफ तो कब का खत्म हो गया। संयुक्त परिवारों में एक अलग व्यवस्था रहती थी। 


शराब आम बात हो गई है और माएं खुद बेटियों को अबोर्शन के लिए ले जा रही हैं। जिम और ब्यूटी पार्लर सॉफ्ट टारगेट गेनर हैं। 


आज करोड़ों के बंगले हैं मगर खोखले हैं। इसलिए अपनी मानसिक और शारीरिक कमियों को ढंकने के लिए दूसरे को कोसना बंद कीजिए। ये हमारे ही मुंह तक थूकने जैसा है। 


हम एक दूसरे से मिलना जुलना पसंद नहीं करते। मेहमान आफत लगते हैं, अभी दिवाली गई कितने लोग अपने बच्चों को रामा श्यामा करवाने ले गए, बड़े बुजुर्गो को धोक दिलवाने ले गए। 


पग पग पर खतरा है, गिद्ध है। जब कभी समय मिले अजमेर मेयो कॉलेज कांड याद कर लेना जिसमें लड़कियां ही नहीं उनकी भाभियां तक फंस गई थी मगर नहीं आपको तो शादी ब्याह में उड़ाने से फुरसत नहीं। 


हां, पेट्रोल टमाटर पर जरूर चिंतित होते है...*

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 आज कोई मर्द किसी लडकी को 

अपने घर या बाहर किसी फ़्लैट में रखकर,

साथ रहता है, भोगता है, 

तो लोग उसे 

नए terminology में, 

या यूं कहें कि 

Refined words में 

"Live in relationship" में रहना 

कहते हैं !

भले ही वो मर्द या लड़की

पहले से शादी शुदा हो या कुंवारा हो !!


पहले इस व्यवस्था में 

लड़की को "रखैल" कहा जाता था ?


आजकल भारत में रखैलों की संख्या

बढ़ती जा रही है ?

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Monday, 14 November 2022

 Parliament को Constitution मे amend करना चाहिए। य़ह अंग्रेजियत की गन्ध है। डिस्ट्रिक्ट मे देशी जज होते थे, High Court आदि मे इंपोर्टेड बिलायती जज। वे देशी जजों को घटिया, दोयम दर्जे के जज समझते थे। उनके प्रभाव से उनके कोर्ट मे वकालत के लिये उपस्थित वकील भी अलग हाव भाव में रंगने लगे, साहबों की तरह व्यवहार करने लगे और जिला स्तर के वकीलों से दूरी बनाने लगे। एक वकील का हाइकोर्ट में प्रेक्टिस करना एक विशेष आभुषण हो गया और जिला न्यायालय के अधिवक्ता अलग होते चले गये। भारत की 99% जनता जिला स्तरीय वकीलों से जिला स्तरीय न्यायाधीशों से ही न्याय पाती है पर जब उन्हें पता चलता है कि उनको न्याय देने वाला Subordinate है तो अंदर ही अंदर उनको निराशा क्षोभ तो होता ही है। पार्लियामेंट को इस गुलामी की निशानी को तत्काल हटाना चाहिये।