गुरु! तुम इतना प्रेम क्यों करते हो मुझसे।
में चल रहा था, तपती रेत पर इस तरह, डर डर के चल रहा।
मैं समझता रहा, मैं चल रहा! पर तपत नहीं,समझ न सका ?
मुझे क्या था पता? चला तो गुरु ही था, मैं तो गोद में था 🙏
में चल रहा था, तपती रेत पर इस तरह, डर डर के चल रहा।
मैं समझता रहा, मैं चल रहा! पर तपत नहीं,समझ न सका ?
मुझे क्या था पता? चला तो गुरु ही था, मैं तो गोद में था 🙏
No comments:
Post a Comment