Tuesday, 19 June 2012

कुछ तो बदलो। बदल तो रहे ही हो। बदले बिना हम सब रह ही नहीं सकते। बदल भी गये ही हो। बस स्वीकार करना है।
जितना जल्दी कर लो, सुखी रहोगे।
नयापन आयेगा ही। मैं पुराना पड़ रहा हूँ, या पड़ जाऊँगा, हो सकता है कुछ पड़ भी गया हूँ।
नये का स्वागत करने में भय कैसा। मैं भी तो नया था।क्या मैंने सब कुछ खत्म कर दिया। यदि नहीं, तो क्यो सोचते हो कि नया आयेगा तो कैसा होगा,क्या होगा।
अभी मैं हूँ, रहूँगा, केवल नये को स्वीकार कर लेने मात्र से मेरा अस्तित्व समाप्त नहीं होगा, नया जो कुछ भी आयेगा वह हम सबको नयापन देगा, उत्साह देगा, उर्जा देगा, नव जीवन देगा । पुराने पड़ जाने से महत्व कम थोड़े हो जाता है।
बस मेरे , आपके पुराने पड़ते जाने के साथ नये की सम्भावना, पदचाप, लक्षण दिखने लगे हैं।

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