वैसे अपने लिये आगे के मार्ग पर आगे बढ़ने , स्वविवेक से स्वाध्याय , स्व-विवेचन , स्वकीय -प्रज्ञा , अंतर्ज्ञान के आधार पर कभी कोई रोक नहीं है।
आगे की यात्रा में भी उनके अनुभव -प्रकाश का अवलम्ब लिया ही जा सकता है।
हाँ सावधानी जरूरी है, अतिरेक -ब्यसन-अतिरंजना - विष्फोटक उद्वेग से बचते आगे बढ़ना चाहिए - रास्ते में मिले अनुभवों -प्राप्त निष्कर्षों का सावधानी से विवेचन ही और आगे प्रखरता से बढ़ने का मार्ग है - प्रमाणित -परखा सिद्ध -अनुभूत मार्ग !!!
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