मैं पटना में न्यायाधीश था। अक्सर एक वकील साहब आते, कोर्ट में घुसते ही चिल्लाने लगते। कल तो सुप्रीम कोर्ट में बहस कर के आया हूँ, आज शाम की फ्लाईट से फिर जाना है, मेरी बहस पहले सुन ली जाये, और यदि बहस सुन ली गई, जो शायद interlocutory मैटर पर mentioning ही अधिक होती थी तो न्यायाधीश को धमक के साथ बोलते थे आज और अभी आदेश डिक्टेट करें नहीं तो अभी सीधे PHC के जजों के पास प्रार्थना करूँगा। आखिर मैं Supreme Court तक जाने वाला वकील हूँ। खूब गरजता हुआ वकील। उनके दो जवान पुत्र 376 के केस में फंस गए। उनके मैटर भी मेरे यहाँ ट्रांसफर होते थे। 24 साल पहले की बात है।
कभी किसी ने उनको गम्भीरता से नहीं लिया।
उनके साथी वकील चाहते थे, उनको जैसे ही कोर्ट में घुसे, निपटा दिये जायें ताकि गम्भीर न्यायिक कार्य चल सके।
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