Friday, 26 August 2022

 बेगूसराय में काम कर रहा था।  

एक दबंग वकील साहब थे।  कोर्ट पर हावी होने और तीखा बोलने,  डराने के लिये जाने जाते थे। 

मैं उनको कोर्ट रूम में घुसते ही उनका नाम लेकर पूछता  कि बताइए वकील साहब आप किस केस में है।  कभी कभी किसी सुनवाई को बीच में रोक कर पहले उनकी फाइल निपटा देता था।  मेरा एक फाँसी का फैसला इन्हीं की संदेह उपस्थिति मे izlash  पर ही डिक्टेट किया गया था। 

एक दिन एक बड़े वकील ने हस्तक्षेप किया  : उनको पहले क्यों सुना जाता है?

मैंने कहा  : आप भी (          बाबू  ) बन जाएं,  वही ख्याति अर्जित कर ले,  मैं आपको भी पहले सुन लूँगा। 

वकील साहब पस्त  : दोनों हाथ जोड़कर  बोले,  नहीं नहीं,  मुझे नहीं बनना, आप उन्हीं को पहले सुनिए। 

मैंने कहा  : उनको पहले सुनता हूँ ताकि बाकी सुनवाई सुचारू चल सके,  कोर्ट में काम  हो।

 मैं पटना में  न्यायाधीश था।  अक्सर एक वकील साहब आते,  कोर्ट में घुसते ही चिल्लाने लगते।  कल तो सुप्रीम कोर्ट में बहस कर के आया हूँ,  आज शाम की फ्लाईट से फिर जाना है,  मेरी बहस पहले सुन ली जाये,  और यदि बहस सुन ली गई,  जो शायद interlocutory मैटर पर mentioning ही अधिक होती थी तो न्यायाधीश को धमक के साथ बोलते थे आज और अभी आदेश डिक्टेट करें नहीं तो अभी सीधे PHC के जजों के पास प्रार्थना  करूँगा।  आखिर मैं Supreme Court तक जाने वाला वकील हूँ।  खूब गरजता हुआ  वकील।  उनके दो जवान पुत्र 376 के केस में फंस गए।  उनके मैटर भी मेरे यहाँ ट्रांसफर होते थे। 24 साल पहले की बात है।

कभी किसी ने उनको गम्भीरता से नहीं लिया। 

उनके साथी वकील चाहते थे,  उनको जैसे ही कोर्ट में घुसे,  निपटा दिये जायें ताकि गम्भीर न्यायिक कार्य चल सके।

 "मैं उस माटी का वृक्ष नहीं,

जिसको नदियों ने सींचा है ।

बंजर माटी में पलकर मैंने,

मृत्यु से जीवन खिंचा है ।।


मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूं,

शीशे से कबतक तोड़ोगे...?

मिटने वाला मैं नाम नहीं,

तुम मुझको कबतक रोकोगे...!"

Wednesday, 3 August 2022

 एक लड़का जब 20 साल का हुआ तो उसके पिता ने उसे एक पुराना कपड़ा देकर उसकी कीमत पूछी।


लड़का बोला 100 रु। तो पिता ने कहा कि इसे बेचकर दो सौ रु लेकर आओ। लड़के ने उस कपड़े को अच्छे से साफ़ कर धोया और अच्छे से उस कपड़े को फोल्ड लगाकर रख दिया।अगले दिन उसे लेकर वह रेलवे स्टेशन गया,जहां कई घंटों की मेहनत के बाद वह कपड़ा दो सौ रु में बिका।


कुछ दिन बाद उसके पिता ने उसे वैसा ही दूसरा कपड़ा दिया और उसे 500 रु में बेचने को कहा।


इस बार लड़के ने अपने एक पेंटर दोस्त की मदद से उस कपड़े पर सुन्दर चित्र बना कर रंगवा दिया और एक गुलज़ार बाजार में बेचने के लिए पहुंच गया।एक व्यक्ति ने वह कपड़ा 500 रु में खरीदा और उसे 100 रु इनाम भी दिया।


जब लड़का वापस आया तो उसके पिता ने फिर एक कपड़ा हाथ में दे दिया और उसे दो हज़ार रु में बेचने को कहा। इस बार लड़के को पता था कि इस कपड़े की इतनी ज्यादा कीमत कैसे मिल सकती है । उसके शहर में मूवी की शूटिंग के लिए एक नामी कलाकार आई थीं।लड़का उस कलाकार के पास पहुंचा और उसी कपड़े पर उनके ऑटोग्राफ ले लिए।


ऑटोग्राफ लेने के बाद लड़के ने उसी कपड़े की बोली लगाई। बोली दो हज़ार से शुरू हुई और एक व्यापारी ने वह कपड़ा 12000 रु में ले लिया


रकम लेकर जब लड़का घर पहुंचा तो खुशी से पिता की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने बेटे से पूछा कि इतने दिनों से कपड़े बेचते हुए तुमने क्या सीखा?


लड़का बोला -"पहले खुद को समझो,खुद को पहचानो। फिर पूरी लगन से मन्ज़िल की और बढ़ो,क्योकि जहां चाह होती है,राह अपने आप निकल आती है।"


पिता बोले कि तुम बिलकुल सही हो,मगर मेरा ध्येय तुमको यह समझाना था कि


"कपड़ा मैला होने पर इसकी कीमत बढ़ाने के लिए उसे धो कर साफ़ करना पड़ा,फिर और ज्यादा कीमत मिली जब उस पर एक पेंटर ने उसे अच्छे से रंग दिया और उससे भी ज्यादा कीमत मिली जब एक नामी कलाकार ने उस पर अपने नाम की मोहर लगा दी।"


कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि..............


"संघर्ष ही जीवन है।ऐसे ही छोटे-छोटे कदमों से चलते हुए रास्ते की बाधाएं साहस और सूझबूझ से सुलझाओगे तो मंजिल बड़े प्यार से तुम्हारा स्वागत करेगी।


कुसंग से बचते हुए लक्ष्य पर ध्यान एकाग्र करो।अपने परम हितैषी पिता की सलाह को मानो और ईश्वर की कृपा का भी सहारा लो,सफलता तुम्हारे कदम अवश्य चूमेगी।"