मुझे पूर्ण विश्वास हो चुका है कि बिहार में केवल जातीय नेता ही हुए है, होते हैं और अपनी दबंगई के बल पर वोट पालिटिक्स करते रहे हैं।
महेश बाबू, श्री कृष्ण बाबू, अनुग्रह बाबू, जगदेव बाबू, वृषण पटेल, राम लखन बाबू सब के सब अपनों के अपनों के लिये और अपनों द्वारा ही थे, बाकी कुछ चमचा थे, डरे हुए थे।
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