Friday, 21 August 2020

 एक अत्यंत प्रेरणादायक प्रसङ्ग। अवश्य पढ़ें।


*विवाह उपरांत जीवन साथी को छोड़ने के लिए 2 शब्दों का प्रयोग किया जाता है* 

*1-Divorce (अंग्रेजी)* 

*2-तलाक (उर्दू)* 

*कृपया हिन्दी का शब्द बताए...??*


कहानी आजतक के Editor संजय सिन्हा की लिखी है 


तब मैं जनसत्ता में नौकरी करता था एक दिन खबर आई कि एक आदमी ने झगड़ा के बाद अपनी पत्नी की हत्या कर दी मैंने खब़र में हेडिंग लगाई कि पति ने अपनी बीवी को मार डाला खबर छप गई किसी को आपत्ति नहीं थी पर शाम को दफ्तर से घर के लिए निकलते हुए प्रधान संपादक प्रभाष जोशी जी सीढ़ी के पास मिल गए मैंने उन्हें नमस्कार किया तो कहने लगे कि संजय जी, पति की बीवी नहीं होती


“पति की बीवी नहीं होती?” मैं चौंका था


“बीवी तो शौहर की होती है, मियां की होती है पति की तो पत्नी होती है


भाषा के मामले में प्रभाष जी के सामने मेरा टिकना मुमकिन नहीं था हालांकि मैं कहना चाह रहा था कि भाव तो साफ है न ? बीवी कहें या पत्नी या फिर वाइफ, सब एक ही तो हैं लेकिन मेरे कहने से पहले ही उन्होंने मुझसे कहा कि भाव अपनी जगह है, शब्द अपनी जगह कुछ शब्द कुछ जगहों के लिए बने ही नहीं होते, ऐसे में शब्दों का घालमेल गड़बड़ी पैदा करता है


प्रभाष जी आमतौर पर उपसंपादकों से लंबी बातें नहीं किया करते थे लेकिन उस दिन उन्होंने मुझे टोका था और तब से मेरे मन में ये बात बैठ गई थी कि शब्द बहुत सोच समझ कर गढ़े गए होते हैं


खैर, आज मैं भाषा की कक्षा लगाने नहीं आया आज मैं रिश्तों के एक अलग अध्याय को जीने के लिए आपके पास आया हूं लेकिन इसके लिए आपको मेरे साथ निधि के पास चलना होगा


निधि मेरी दोस्त है कल उसने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया था फोन पर उसकी आवाज़ से मेरे मन में खटका हो चुका था कि कुछ न कुछ गड़बड़ है मैं शाम को उसके घर पहुंचा उसने चाय बनाई और मुझसे बात करने लगी पहले तो इधर-उधर की बातें हुईं, फिर उसने कहना शुरू कर दिया कि नितिन से उसकी नहीं बन रही और उसने उसे तलाक देने का फैसला कर लिया है


मैंने पूछा कि नितिन कहां है, तो उसने कहा कि अभी कहीं गए हैं बता कर नहीं गए उसने कहा कि बात-बात पर झगड़ा होता है और अब ये झगड़ा बहुत बढ़ गया है ऐसे में अब एक ही रास्ता बचा है कि अलग हो जाएं, तलाक ले लें


निधि जब काफी देर बोल चुकी तो मैंने उससे कहा कि तुम नितिन को फोन करो और घर बुलाओ, कहो कि संजय सिन्हा आए हैं


निधि ने कहा कि उनकी तो बातचीत नहीं होती, फिर वो फोन कैसे करे?


अज़ीब संकट था निधि को मैं बहुत पहले से जानता हूं मैं जानता हूं कि नितिन से शादी करने के लिए उसने घर में कितना संघर्ष किया था बहुत मुश्किल से दोनों के घर वाले राज़ी हुए थे, फिर धूमधाम से शादी हुई थी ढेर सारी रस्म पूरी की गईं थीं ऐसा लगता था कि ये जोड़ी ऊपर से बन कर आई है पर शादी के कुछ ही साल बाद दोनों के बीच झगड़े होने लगे दोनों एक-दूसरे को खरी-खोटी सुनाने लगे और आज उसी का नतीज़ा था कि संजय सिन्हा निधि के सामने बैठे थे उनके बीच के टूटते रिश्तों को बचाने के लिए


खैर, निधि ने फोन नहीं किया मैंने ही फोन किया और पूछा कि तुम कहां हो  मैं तुम्हारे घर पर हूं आ जाओ नितिन पहले तो आनाकानी करता रहा, पर वो जल्दी ही मान गया और घर चला आया


अब दोनों के चेहरों पर तनातनी साफ नज़र आ रही थी ऐसा लग रहा था कि कभी दो जिस्म-एक जान कहे जाने वाले ये पति-पत्नी आंखों ही आंखों में एक दूसरे की जान ले लेंगे दोनों के बीच कई दिनों से बातचीत नहीं हुई थी


नितिन मेरे सामने बैठा था मैंने उससे कहा कि सुना है कि तुम निधि से तलाक लेना चाहते हो


उसने कहा, “हां, बिल्कुल सही सुना है अब हम साथ नहीं रह सकते


मैंने कहा कि तुम चाहो तो अलग रह सकते हो पर तलाक नहीं ले सकते


“क्यों


“क्योंकि तुमने निकाह तो किया ही नहीं है”


अरे यार, हमने शादी तो की है


“हां, शादी की है शादी में पति-पत्नी के बीच इस तरह अलग होने का कोई प्रावधान नहीं है अगर तुमने मैरिज़ की होती तो तुम डाइवोर्स ले सकते थे अगर तुमने निकाह किया होता तो तुम तलाक ले सकते थे लेकिन क्योंकि तुमने शादी की है, इसका मतलब ये हुआ कि हिंदू धर्म और हिंदी में कहीं भी पति-पत्नी के एक हो जाने के बाद अलग होने का कोई प्रावधान है ही नहीं


मैंने इतनी-सी बात पूरी गंभीरता से कही थी, पर दोनों हंस पड़े थे दोनों को साथ-साथ हंसते देख कर मुझे बहुत खुशी हुई थी मैंने समझ लिया था कि रिश्तों पर पड़ी बर्फ अब पिघलने लगी है वो हंसे, लेकिन मैं गंभीर बना रहा


मैंने फिर निधि से पूछा कि ये तुम्हारे कौन हैं?


निधि ने नज़रे झुका कर कहा कि पति हैं मैंने यही सवाल नितिन से किया कि ये तुम्हारी कौन हैं? उसने भी नज़रें इधर-उधर घुमाते हुए कहा कि बीवी हैं


मैंने तुरंत टोका ये तुम्हारी बीवी नहीं हैं ये तुम्हारी बीवी इसलिए नहीं हैं क्योंकि तुम इनके शौहर नहीं तुम इनके शौहर नहीं, क्योंकि तुमने इनसे साथ निकाह नहीं किया तुमने शादी की है शादी के बाद ये तुम्हारी पत्नी हुईं हमारे यहां जोड़ी ऊपर से बन कर आती है तुम भले सोचो कि शादी तुमने की है, पर ये सत्य नहीं है तुम शादी का एलबम निकाल कर लाओ, मैं सबकुछ अभी इसी वक्त साबित कर दूंगा


बात अलग दिशा में चल पड़ी थी मेरे एक-दो बार कहने के बाद निधि शादी का एलबम निकाल लाई अब तक माहौल थोड़ा ठंडा हो चुका था, एलबम लाते हुए उसने कहा कि कॉफी बना कर लाती हूं


मैंने कहा कि अभी बैठो, इन तस्वीरों को देखो कई तस्वीरों को देखते हुए मेरी निगाह एक तस्वीर पर गई जहां निधि और नितिन शादी के जोड़े में बैठे थे और पांव पूजन की रस्म चल रही थी मैंने वो तस्वीर एलबम से निकाली और उनसे कहा कि इस तस्वीर को गौर से देखो


उन्होंने तस्वीर देखी और साथ-साथ पूछ बैठे कि इसमें खास क्या है?


मैंने कहा कि ये पैर पूजन का रस्म है तुम दोनों इन सभी लोगों से छोटे हो, जो तुम्हारे पांव छू रहे हैं


“हां तो


“ये एक रस्म है ऐसी रस्म संसार के किसी धर्म में नहीं होती जहां छोटों के पांव बड़े छूते हों लेकिन हमारे यहां शादी को ईश्वरीय विधान माना गया है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि शादी के दिन पति-पत्नी दोनों विष्णु और लक्ष्मी के रूप हो जाते हैं दोनों के भीतर ईश्वर का निवास हो जाता है अब तुम दोनों खुद सोचो कि क्या हज़ारों-लाखों साल से विष्णु और लक्ष्मी कभी अलग हुए हैं दोनों के बीच कभी झिकझिक हुई भी हो तो क्या कभी तुम सोच सकते हो कि दोनों अलग हो जाएंगे? नहीं होंगे हमारे यहां इस रिश्ते में ये प्रावधान है ही नहीं तलाक शब्द हमारा नहीं है डाइवोर्स शब्द भी हमारा नहीं है


यहीं दोनों से मैंने ये भी पूछा कि बताओ कि हिंदी में तलाक को क्या कहते हैं?


दोनों मेरी ओर देखने लगे उनके पास कोई जवाब था ही नहीं फिर मैंने ही कहा कि दरअसल हिंदी में तलाक का कोई विकल्प नहीं हमारे यहां तो ऐसा माना जाता है कि एक बार एक हो गए तो कई जन्मों के लिए एक हो गए तो प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता, उसे करने की कोशिश भी मत करो या फिर पहले एक दूसरे से निकाह कर लो, फिर तलाक ले लेना


अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ काफी पिघल चुकी थी


निधि चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी फिर उसने कहा कि


भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूं


वो कॉफी लाने गई, मैंने नितिन से बातें शुरू कर दीं बहुत जल्दी पता चल गया कि बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं, बहुत ही छोटी-छोटी इच्छाएं हैं, जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं


खैर, कॉफी आई मैंने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली नितिन के कप में चीनी डाल ही रहा था कि निधि ने रोक लिया, “भैया इन्हें शुगर है चीनी नहीं लेंगे


लो जी, घंटा भर पहले ये इनसे अलग होने की सोच रही थीं और अब इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं


मैं हंस पड़ा मुझे हंसते देख निधि थोड़ा झेंपी कॉफी पी कर मैंने कहा कि अब तुम लोग अगले हफ़्ते निकाह कर लो, फिर तलाक में मैं तुम दोनों की मदद करूंगा


शायद अब दोनों समझ चुके थे


*हिन्दी एक भाषा ही नहीं - संस्कृति है*


*इसी तरह हिन्दू भी धर्म नही - सभ्यता है*

👆उपरोक्त लेख मुझे बहुत ही अच्छा लगा, जो सनातन धर्म और संस्कृति से जुड़ा है।आप सभी से निवेदन है कि समय निकाल कर इसे पढ़े घोर करे, अच्छा लगे तो आप अपने मित्रों के पास प्रेषित करे👏👏

🌺 सनातन धर्म की जय🌺

अग्रेषित सन्देश

Thursday, 13 August 2020

 एक्सेंट , उच्चारण या लहजा , चाहे देसी का हो या विदेशी का अक्सर अजीबोगरीब घटनाओं का कारण बनता है…

सन 1990

सूरत में एक पाँच मंजिला अपार्टमेंट में हम नए-नए शिफ्ट हुए थे.

उस इमारत में कुल बीस फ्लैट थे, उसमें सिर्फ पाँच छः फ्लैट में लोग रहते थे, बाकी फ्लैट अभी खाली थे

ग्राउंड फ्लोर पर कार पार्किंग के कोने में बने कमरे में एक मात्र एक नेपाली कर्मचारी अपनी पत्नी के साथ रहता था

नैन सिंह…

करीब चालीस वर्ष की उम्र , छोटा क़द, दूर से गोल मटोल सा दिखने वाला नैनसिंह नेपाल के पहाड़ी इलाके से था .

गोल मटोल चेहरे पर नन्हीं उनींदी आँखें…

हमेशा खाकी कपड़े पहने और नेपाल की पहचान पीतल की नन्हीं सी "दो कटार वाली एम्बलम" की टोपी हमेशा उसके सर पर रहती थी.

लिफ्ट मैन की ड्यूटी के साथ-साथ रात की पहरेदारी और हमारे छोटे-मोटे काम भी वह कर दिया करता था जैसे पास की दुकान से ब्रेड बटर या घर के छोटे-मोटे सामान वगैरह ले आना…

नमश्ते शाब जी … हरदम मुस्कुराता चेहरा और मीठे नेपाली उच्चारण वह सोसायटी में लोकप्रिय था…

वह जब किसी काम से जाता या आराम कर रहा होता था तो उसकी सीधी सादी पत्नी लिफ्ट को गर्व से यूँ ऑपरेट करती थी मानो चंद्रयान को आकाश में ले जा रही हो.

कभी कोई सामान लाने पर बाकी बचे हुए दो तीन रुपए उसको टिप या बख्शीश के तौर पर दे दिये जाते थे तो उसकी आदत के अनुसार उन रुपयों को स्वतः ही अपने माथे से छूकर धन्यवाद प्रकट करता था.

एक दिन मैं और मेरा कजिन बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग में खड़े एक स्कूटर पर बैठे गप शप कर रहे थे…

ए नैन सिंह… इधर आ…मैंने उसको इशारे से अपने पास बुलाया…

मैंने अपनी जेब से दस का नोट निकाला और उसके हाथ में थमाया …

उसने अपनी आदत के अनुसार उसको नोट को सीधा अपने माथे से लगाया…

अबे यह बक्शीश नहीं है …जा एक ब्रेड लेकर आ…

नैन सिंह के चेहरे पर एक शर्मिंदगी भरी हँसी आ गई…

काफी देर हो गई इंतजार करते हुए लेकिन नैन सिंह नहीं आया

कुछ देर बाद देखा तो नैन सिंह दूर से अपनी "पेटेंट चाल" से चल कर आता हुआ दिखाई दिया…

हर कदम पर उसके कंधे आगे की तरफ झुक जाते और दोनों घुटने यूं मुड़ जाते थे मानों कंधों पर भारी वजन उठाए हुए चल रहा हो..

उसे दूर से आते देख मेरे भाई ने मुस्कराते हुए कहा …

यह भगवान भी इंसान के जीन्स में क्या क्या फिट कर देता है…

ऐसा क्या हुआ ??? मैंने भाई से उत्सुकता से पूछा

देखो तो सपाट जमीन पर भी ऐसे चल रहा है कि जैसे हिमालय पहाड़ पर चढ़ रहा हो …

लेकिन इसके हाथ में ब्रेड तो नहीं है, लगता है बेवकूफ आदमी कुछ और ही ले आया है…मैंने शक जताया

नैन सिंहअपने दोनों हाथों से डब्बीनुमा आकार बनाकर उसमें छुपाकर रहस्यमय तरीके कुछ ला रहा था , मानों रास्ते में उसे सोने का बिस्किट मिल गया हो…

तेरे हाथों में क्या है??? मैंने उत्सुकता से पूछा

जैसे ही उसने अपने हाथों को खोला तो उसमें से नन्हा सा चिड़िया का बच्चा निकला आया…

वो मासूम सा चिड़िया का बच्चा डर के मारे काँप रहा था…उसके पंख घायल थे और जगह-जगह से खून निकल रहा था…

अरे !!! ये तो बुरी तरह घायल है… मैंने आश्चर्य के साथ कहा

शाब… राश्ते में बौत शारा कौआ इशको चोंच मार कर घायल कर दिया शाब… इशीलए मैं इशको बचाके लाया… नैन सिंह ने सफाई दी…

कौओं का झुंड अभी भी उस नन्हें पंछी की ताक में था और काँव काँव करते हुए मंडरा रहा था…

मैंने ज्यादा वक्त गँवाये बिना घर से एंटीबायोटिक क्रीम मंगाई और उसकी मासूम पंछी की मरहम पट्टी की…

उसे पानी पिलाया और नैन सिंह उसे खिलाने के लिए अपनी खोली से थोड़े से उबले हुए चावल ले आया…

उस नन्हें पंछी के लिए के हमने पुठे के एक कार्टन में नरम कपड़ा और घास बिछा कर उसके लिए सुरक्षित सा घर बनाया…

सिर्फ तीन दिन में ही वह नन्हा पंछी फुदकने लगा… ऐसा लगा के चार-पांच दिन में फिर से उड़ने लगेगा…

अचानक वो नन्हा पंछी बिल्डिंग में रहने वाले बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया…

एक दिन सुबह सुबह मैं अपने ड्राइंग रूम में बैठकर टीवी देख रहा था

कि इतने में में नैन सिंह दरवाजे पर हाजिर हुआ…

बोलो नैन सिंह …

शाब …"सीरिया का बादशाह मर गया" …इतना कहते हुए नैन सिंह के चेहरे पर भारी उदासी थी

मैंने तुरंत टीवी पर न्यूज़ चैनल लगायाऔर हैडलाइन देखने लगा…

तुम्हारा सगे वाला था क्या ??? मैंने पूछा

उसने निराशा में सर झुकाए हुए अपना दायाँ हाथ डमरु बजाने की अदा में यूँ हिलाया लाया कि जैसे कह रहा हो… क्या पता ???

अचानक मेरे जहन में आया कि नेपाल का और सीरिया का क्या संबंध हो सकता है…

इतने में पीछे से मेरी पत्नी चाय का कप लेकर हाज़िर हुई…और बोली…

तुम भी ना लगता है कानों में रुई डाल कर बैठते हो…

अरे भई ये कह रहा है कि "चिड़िया का बच्चा मर गया"…मुझे सुनकर बहुत दु:ख हुआ और साथ में अपनी बेवकूफी पर हँसी भी आने लगी…

मैंने शर्मिंदगी से बचने के लिए अपना सर झुकाया, होंठ भींच कर अपनी हँसी को रोका और साथ-साथ निराशा में सिर हिलाया…

अब तुम्हें क्या हुआ है ??? इस बेचारे ने तो बहुत कोशिश की उसे बचाने की… अब हमने जानबूझकर थोड़ी मारा उसे….मेरी पत्नी ने मुझे डांटते हुए कहा

चलो अब चाय पियो…ज्यादा दुखी मत होओ…मेरी पत्नी ने किसी बच्चे को सांत्वना देने की अदा में कहा…

मैंने बनावटी चेहरा बनाकर दुखी मन से जवाब दिया…

उफ्फ… मेरा सीरिया का बादशाह मर गया …

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