कोरा की सजग मोनिटरिंग टीम जो अनुचित मसालेदार खाने पीने, लिखने, पढ़ने से झट रोक देती है, टोक देती है और किशोरों को इत्ती रोक टोक, ताका झाँकी से अरुचि की हद तक एलर्जी है।
वही किशोर तीन चार साल बाद कोरा पर आ जाता है जब उफान थोड़ा कम हो जाता है और कच्चापन पक पक सा जाता है, स्थिर हो जाता है !!
और हाँ, हिंदी कोरा पर वैज्ञानिक प्रश्नों का आधिकारिक, प्रमाणित डेटा बेस्ड उत्तर भी सीनियर्स नहीं दे पाते जिसके चलते वास्तव में जिज्ञासु किशोरों की रुचि आकर्षित नहीं होती।
किशोर यहाँ भूखे से, प्यासे से, सूखे से लावारिस घूमते रहते है।
कुछ किशोरों के लिये यहाँ कुछ दार्शनिक टाइप मेटेरियल, चीप पोलिटिकल गॉसिप, खींच तान, और कॉलेज या महल्ले के आवारा किस्सागो की कहानियों के अलावा या कुछ शुद्ध उपदेश छोड़ कर बहुत कुछ उपयोगी है ही नहीं।
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