Tuesday, 31 December 2019

कोरा की सजग मोनिटरिंग टीम जो अनुचित मसालेदार खाने पीने, लिखने, पढ़ने से झट रोक देती है, टोक देती है और किशोरों को इत्ती रोक टोक, ताका झाँकी से अरुचि की हद तक एलर्जी है।
वही किशोर तीन चार साल बाद कोरा पर आ जाता है जब उफान थोड़ा कम हो जाता है और कच्चापन पक पक सा जाता है, स्थिर हो जाता है !!
और हाँ, हिंदी कोरा पर वैज्ञानिक प्रश्नों का आधिकारिक, प्रमाणित डेटा बेस्ड उत्तर भी सीनियर्स नहीं दे पाते जिसके चलते वास्तव में जिज्ञासु किशोरों की रुचि आकर्षित नहीं होती।
किशोर यहाँ भूखे से, प्यासे से, सूखे से लावारिस घूमते रहते है।
कुछ किशोरों के लिये यहाँ कुछ दार्शनिक टाइप मेटेरियल, चीप पोलिटिकल गॉसिप, खींच तान, और कॉलेज या महल्ले के आवारा किस्सागो की कहानियों के अलावा या कुछ शुद्ध उपदेश छोड़ कर बहुत कुछ उपयोगी है ही नहीं।
हनुमान सब बना दिये गए कोतवाल,
केवट सब हुए घोषित हुए तारणहार
माता शबरी अब से बनी है राजमाता
जाम्बवन्त सब सब राह दिखावन हार
जटायु सब अब बना दिये गये पहरेदार
धोबी बनाये गए न्याय के बेधड़क दाता
भरत ही अब बस खड़ाऊं रख करें राज
देखो लवकुश वशिष्ठ, यही है रामराज।
  • विधाता ने मुझे विगत साठ एक साल में क्या कुछ नहीं दिया. दिन रात भी अगर धन्यवाद कहता रहूँ तो भी उनकी महती कृपा का वर्णन नहीं कर सकता .
कैसे कोई भी शिकायत करूँ .परमात्मा ने सब कुछ दिया . कुछ भी बाकी नहीं रखा .
हे गुरुदेव , जैसी मेरी निबाह गये, जैसे मुझे चला गये, जिस प्रकार मुझ पर कृपा कर गये, वैसी कृपा आगे भी करते रहना.
प्रणाम
हे प्रभु , आपने मुझे इतना कुछ दिया ,बहुत कुछ , जिसका मैंने न स्वप्न देखा था, न मैं अधिकारी था - यह सब मुझे दिखता क्यों नहीं?
मैं आपको धन्यवाद क्यों नहीं कह पाता .
मेरी आँखें वही क्यों देख रही है जिसे केवल आपको ही देखने का अधिकार है .
मैं तो आपके हाथों में आनन्द से सुरक्षित बढ़ता ही जा रहा हूँ .
प्रभु, प्रणाम !

हे अपमान की घुंटी देने वाले वीर, तुम्हारा लाख लाख शुक्रिया कि तुमने सम्मान की भूख जगाई, अपमान की असह्य पीड़ा और कडुआहट -कसैले पन से परिचय करवाया - बहुत बहुत धन्यवाद .
तुम्हारी नींव की ब्यापकता चमत्कृत कर देने वाली है. मैं उसे सादर प्रणाम करता हूँ,
इतना शानदार सब कुछ .!!
मैं तो इस सारे के बीच कहीं नहीं हूँ .
फिर भी मैं तुम्हारे बीच हूँ, दृढ़ता से हूँ .
मानता हूँ मेरे पास साधन, जीवन, संचित उर्जा का अभाव है, यश और सम्मान की किसी बड़ी धारा से मैं अपने आप को मैं नहीं जोड़ पाता हूँ .
मैं किसी भी बाहरी साधन से जीवन की उर्जा न तो प्राप्त रह रहा हूँ न ही चाहुँ तो भी नहीं कर सकता हूँ .
पर यही क्या कम है की आज मैं तुम्हारे बीच हूँ और तुम भी मेरे लिये न चाहते हुए भी रुकने कोविव्श हो.
मेरी और देखते तो हो.
मेरे बारे में चर्चा तो करते तो हो
बस इतने से के लिय सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापन तो बनता ही न है .
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बस अकेले अपनी धुन में बिना डरे, बिना झिझके, लगातार विवेक -प्रकाश के सहारे अनजान रास्तों पर साफ- सफाई से चलते रहना, जो , जब , जिसका, जितना, जैसा उचित हो, आवश्यक हो, अनुमत हो, कर दिया.
बिना श्रेय -यश लिये; बिना अपराध-बोध के, बिना ग्लानि के, बिना राग-द्वेष-पूर्वाग्रह के!!
अपने लिये जो कुछ भी जैसा जितना निर्धारित है, उसके अलावा कुछ भी अन्यथा अपेक्षा के बिना, कई बार अपने आप से अलग और शायद उपर उठ कर भी, अपने आप को कितनी बार अलग रखना पड़ा, अपने आप को बांधना,डाँटना, छिपाना पड़ा, कड़ा करना पड़ा," कई बार केवल सही के आग्रह के कारण अप्रिय खतरे उठाने पड़े, नाराजगी भी झेलनी पड़ी, आक्रमण भी हुए - वैसे इसी यात्रा क्रम में यात्रावसान विन्दु तक अनुभव को विवश किया गया- पर मार्ग बदलना सवीकार नहीं रहा - बस चलता ही रहा
- बस आज तक की यात्रा का यही वृतान्त है -
- अकिन्चन से कंचन बनने की कहानी है ,
- परमपिता का आशीश है
- नहीं पता किसे-किसे ,क्या-क्या, कब-कब और क्यों याद करुँ, किसे औेर क्या, कब भूल जाउँ, किस-किस को धन्यवाद दूँ, किस-किस के कौन-कौन से ॠणों से उॠण होने का जतन करूँ या न करुँ

धन्यवाद ही अन्तिम दान है ।दो बूँद आँसू ही अन्तिम समर्पण ।स्वरक्षा ही अन्तिम शस्त्र ।स्वविवेक ही अन्तिम ग्यान ।
अभी जाना है बहुत दूर ,सम्भल,सम्भाल कर चलना
चलना अभी शुरू हुआ ,,सम्भल,सम्भाल कर चलना .

जो जा चुके ,वे जा चुके तुम को तो आगे ही चलना है ,
जो जा रहे ,वे चल चुके ,संभलो ,उससे आगे चलना है .

मैं भी तो लगभग चल चूका ,तुम्हारा चलना बाकी है
रसद जुटा हिम्मत बांधो , चलना सीखना ही बाकी है

धक्के , गड्ढे बाकी है ,आंधी तूफ़ान भी अभी बाकी है
गहरी खाई अभी बाकी है ,खड़ी चढ़ाई चढना बाकी है

मैं भी अकेला चला था ,तुम्हें भी अकेले चलना होगा
साथ भी यदि मिल जाये ,आगे तो अकेले होना होगा

ताकत, हिम्मत है तुम्हारी ,वही तो तुम्हारे काम की
रसद जुटाये रखना हरदम , बाकी कुछ नहीं काम की

अभी जाना है बहुत दूर ,सम्भल,सम्भाल कर चलना
चलना अभी शुरू हुआ ,,सम्भल,सम्भाल कर चलना .