Wednesday, 31 July 2019

  1. असल में आज के सफल अरबपति खरबपति अपने इतिहास मूल के सारे साक्ष्य , उनसे सम्बंधित अनुमान के लीड इस प्रकार मिटा देते है कि अध्ययन करने वाले, उनको देखने समझने वाले को केवल उनका उज्ज्वल पक्ष ही सदैव दिखता रहता है। वे इस हेतु बहुत बड़ा धन-जन विनियोग करते है। उनके इतिहास भूगोल की देबटिंग पेंटिंग एक साथ कई विशेषज्ञ कई स्तर पर इस प्रकार करते है कि मेक-ओवर के बाद उनके इतिहास तक पहुंचना असम्भव होता है।
  2. मेरे एक रिश्तेदार की फैंसी महंगे कपड़े की दुकान में 1971 नवम्बर में रात में दरवाजा तोड़ ट्रक लगा सारी दुकान खाली कर ली गयी। उस वक्त डेढ़ लाख की चोरी थी। पुलिस ने अनुसन्धान कर रिपोर्ट किया अपराध की घटना तो सही है पर कोइ सुराग नहीं।
  3. इन रिश्तेदार की दुकान पर एक राजनैतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले ट्रक ऑपरेटर नियमित रूप से आ कर वैठते थे। उनके सामने ही चोरी की घटना के ठीक पहले भारी मात्रा में महंगे ऊनी सूट, बंडी, कुर्ता,और अन्य सामान उतरा था। उन्होंने विस्तार से सामान, माल, डिजाइन में रुचि ली थी।
  4. रंगदार टाइप के थे।उनका प्रचलित नाम उनकी रात की आपराधिक गतिविधि से सम्बद्ध था। इलाके के सारे अपराध के सूत्रों से जुड़े रहते थे। दारोगा, पुलिस, नेता टाइप के लोगों से मिलते रहते थे। दिन भर किसी पेट्रिलपम्प के वरांडा में एक कुर्सी पर बैठे दरबार लगाते रहते। चाय वैगरह उस पेट्रोल पंप वाले की।
  5. इधर बाजार में हवा फैली की रात में उन्ही की ट्रक लगी थी और सामान उठवा लिया गया। दुकान मेन बाजार में जामा मस्जिद के सटे थी। अमूमन रात भर कुछ न कुछ वहाँ हलचल रहती थी। नेपाली चौकीदार रात्रि प्रहरी भी थे। थाना एक ओर 400 गज दूर, पुलिस चौकी दूसरी ओर 400 गज दूर। मुख्यतम ब्यस्ततम राष्ट्रीय राजमार्ग था।
  6. पर पुलिस ने सीधे "कोई सुराग नहीं" रिपोर्ट कर दिया।
  7. घटना के एक दो माह बाद ही शहर के कुछ बदनाम उसी ट्रांसपोर्ट के कारोबारी के मित्रों को, खुद उनको उसी खेप के ऊनी कपड़े पहने हम लोग देखते। शहर के दर्जी तक भक्क एका एक उतने ऊँची क्वलिटी के सूट, कुर्ता का कपड़ा।
  8. सभी समझ चुके थे। कोई बोलता नहीं था।
  9. चार पाँच वर्ष बाद वे चुनाव भी लड़े। कई बार विधानसभा चुनाव लड़े, जीते। लोकसभा चुनाव लड़े जीते। अभी उनका लड़का चुनाव लड़ता और जीतता रहता है।
  1. 1978/90 में धनबाद के एक प्रतापी के साथ मिल उस वक्त करोड़ो का कोयले का काम किये। कागजों पर कितनी कोकिंग कोक की फैक्ट्री लगाई। जहाँ सम्भव हुआ झगड़े की जमीन लिखवाते गये। आज मूर्धन्य अरब पति है।
मेरी मौत की डिजाइन नीचे है
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बस सबसे सूक्ष्म बिंदु जितना, न लंबाई, न चौड़ाई, न क्षेत्रफल, न घनत्व, बस एक बिंदु भर।
कोई समय नहॉ, पलक झपकते, वा में से पुनि आध, बस इतना ही।
मेरी मौत हो तुरता तुर्त्ती, बिना सजावट, बिना हो हल्ला, बिना विलाप,

Tuesday, 23 July 2019

दूसरी तरफ, हमारे पड़ोस में एक वृद्ध रहते हैं। बेहद सादा जीवन हैं उनका, मध्यमवर्गीय पति पत्नी है। पत्नी जटिल गठिया से पीड़ित है, स्वयं उन्हें मधुमेह है। खुद अंकल जी, सेवानिवृत्त है सरकारी प्रबंधक के पद से। एक ही बेटा है जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अलग रह रहा है।
घर में काम काज करने के लिए कोई मदद नहीं, क्योंकि उन्हें देने के लिए पैसे नहीं उनके पास। इसलिए अंकल जी सारा काम खुद ही करते हैं घर का और अपनी पत्नी का।
हर रोज शाम को उन्हें और उनकी पत्नी को सैर पर निकलते देखती हूं। मै हमेशा पूछती हूं, " की हाल बादशाहों।" जिसपर वो चहककर जवाब देते हैं, " टकाटक! पता है आज मैंने कढ़ी बनाई थी, बड़े मजे की बनी थी। कल रात को मैंने 'बधाई हो बधाई' फिल्म देखी, मजा आ गया। तुम्हें पता है मेरे पोते ने मुझे अपनी तस्वीर भेजी है नई स्कूल यूनीफॉर्म में" मुझे मोबाइल में तस्वीर दिखाते हुए अभिमान से, "अरे मैं तो बताना ही भूल गया, आखिर गुलाब निकला है मेरे पौधे में। कल सोच रहा हूं इडली बनाऊं, तुम्हे पसंद हैं?, अच्छी बात है तुम्हारे लिए लेकर आऊंगा।" एक बेहद जीवंत हंसी हंसते हुए मुझे जेब से कुछ टॉफिया निकालकर थमाते हुए चलते बने।