Monday, 7 January 2019


  1. सामान्य ज्ञान धारण करने के क्रम में कुछ नॉलेज ब्रेकेट के प्रति रिपल्सन, विरक्ति, विरुद्ध भाव होने के कारण हमारी बुद्धि, मन, स्मृति उसे स्वीकार कर सेव नहीं कर पाती।

जैसे शाकाहारी होना अलग बात है, मांसाहार, मांसाहारी से घृणा करना, बैर रखना दूसरी बात। मांसाहार से घृणा-बैर की स्थिति में आप मछली में , अंडे में कौन से पोषक तत्व पाये जाते है, प्रश्न से भी घृणा कर ले जाते हो।
मछुआरे की वृत्ति, बीफ का आर्थिक महत्व, पशुधन के अपशिष्ट उत्पाद, चर्मउद्योग आदि प्रश्न , उनके उत्तर चित्त ओर ही नहीं चढ़ते।
कोणार्क, खजुराहो की चर्चा पर ही सावधान हो अपने को सुरक्षात्मक बना लेना : ग्रहणशीलता को तो बाधित करता ही है।
अमूमन IAS , CAT , NDA, CDS के अभ्यर्थी बड़े उदण्ड किस्म के मेधावी छात्र होते है।
सामान्य भाषा मे बोले तो सभी कलाओं में प्रवीण न भी हों तो जानकार तो होते ही हैं और उनका रिजेक्शन लो, adaptability high  होती है। Transformability high होती है।
खामखाह किसी चीज, बात, पक्ष, विचार को रेसिस्ट नहीं करते।
होस्टल, दूर देश मे रह कर पढ़ने से यह समझ स्वयं ही आ जाती है।
अपने टेस्ट से विपरीत टेस्ट के ज्ञान को कैसे ग्रहण करते जाना है - यही तो सामान्य ज्ञान है।
वह जो चारों ओर है पर सदैव मेरे प्रत्यक्ष काम का नहीं, मेरी रुचि भी नहीं, कभी अवसर भी नहीं मिला पर उनपर भी निगाह रखना , यही तो GK है।
में शराब नही पीता, सिगरेट भी न पीता, न पिऊँगा फिर भी शराब के ब्रांड, सिगरेट के ब्रेंड के नाम से रिपल्सन, मुझे तो स्वीकार्य नहीं।
यह सब सामान्य ज्ञान का हिस्सा है।
क्रिकेट, रग्बी, फुटबाल, बैडमिंटन, हाकी, विंटर ओलम्पिक, देकल्थन थ्रो - इन सब से मैं सीधे नहीं जुड़ा, मुझे अवसर भी नही, पर जिज्ञासा रहनी ही चाहिये।

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