खुद को खुदी का ईनाम देना बन्द मत कर देना भाई
दूसरे तो बेईमानी का ईनाम देने का भी दाम माँगते हैं
दूसरे तो बेईमानी का ईनाम देने का भी दाम माँगते हैं
रतन तो ता जिन्दगी जहाँ था, वहाँ रतन ही न रहा होगा
जौहरी को जब तक दाम नहीं मिला , वह रतन कहाँ हुआ
जौहरी को जब तक दाम नहीं मिला , वह रतन कहाँ हुआ
रतन को रतन बनाता , जौहरी , पर मनमानी भी करता
पत्थर को रतन , रतन को पत्थर करता ये जौहरी, कैसे ?
पत्थर को रतन , रतन को पत्थर करता ये जौहरी, कैसे ?
जौहरियों की जमात का होता है एका ,बड़ा भारी एक सा
रतन जिसे कह दिया रतन हो गया,बाकी सब पत्थर रहे
रतन जिसे कह दिया रतन हो गया,बाकी सब पत्थर रहे
सारे जौहरी एक ही हमाम में रोज नहाने जाते है, सब एक
पगड़ी उन सब की एक , एक दूसरे को पहनाते फिर लौटेगी
पगड़ी उन सब की एक , एक दूसरे को पहनाते फिर लौटेगी
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