Saturday, 9 March 2024

 भाय ( भाई) की शून्यता.........

                            

भाय के जाने की शून्यता, 

निश्चिंतता का गहरा अंधकार,

पर साथ है तेरा, 

मेरे जीवन की ज्यों की सूर्य का तेज।


भरोसे की छलांग, 

हर मुश्किल में जिनके हौसले लगाई,

आपका विश्वास, मेरे सपनों को जीने की बात,

मुझ पर किया हुआ एहसानहै, 

हर कठिनाई में बना रहा साथ आपका, यह उपकार।


आपका स्नेह, साथ बि, ताए हर पल।

संघर्षों के सफर, कोर्ट, गतिविधियों में शामिल होने का आदेश,

वो हाथ पकड़ कर पास बिठाना, 

"माथा आँगां कर" कह मेरे सिर को सहलाना।

जबान खोल, कोई नेवता तो नहीं देगा,

डरा मत कर, डरेगा तो लोग और डरायेंगे 

यह सब कह हिम्मत बढ़ाना. 

लगा जैसे आपने मान लिया आज ही है अन्त की घड़ी।


भाई तो हैं सभी पर भाय अब कोई नहीं,

दुख तो है ही आपके जाने का,

पर आपके जीवन का स्थापित मानदंड,

प्रेरित करता है हमे चलने को।


भाई ( भाय ) के आदर्श और उद्देश्य की पूर्ति के लिए जीना

भाय के विप्लवी, सहयोगी मिजाज को समाहित करना।

भाई ( भाय )का जाना, जीवन की नई कहानी,

साथ है सच्चा विश्वास, चिर सजीव यह याद।


शब्दांजलि 🙏