Monday, 5 September 2022

 लड़कियों के नसीब में अच्छे टीचर्स की गिनती लड़कों के मुक़ाबले बहुत कम होती है । ज़्यादातर टीचर्स क्लास में लार टपकाते ही आते थे । लड़कियों की साइड घूमते टहलते आ जाना और बहाने बहाने से उन्हें छूना या बड़ी लड़कियों को बाँह से पकड़ना,पीठ पर हाथ मारना और गुटका खाई बत्तीसी निकाल कर अपनी फूहड़ अश्लील हरकतों पर खी खी करना । लड़कों का मुँह दबाकर हँसना और लड़कियों का शर्म से गड़ जाना । लड़कियों का घर में शिकायत करने का मतलब घर बैठो। स्कूल में जेंट्स टीचर्स के बीच न लड़कियों की शिकायत करने की हिम्मत थी । अगर शिकायत की जाती तो सुनवाई की उम्मीद भी नहीं थीं । इस पर हम छोटी लड़कियाँ ख़ैर मनाते कि ठरकी टीचर्स एक,दो बड़ी लड़कियों में ही उलझे रहते हैं हम तक नहीं पहुँचते । वो लड़कियाँ कई-कई दिन स्कूल नहीं आती दिन ब दिन पढ़ाई में कमज़ोर होती गयीं ।

वो लड़कियाँ किस कदर तकलीफ़ और शर्म से गुजरती थी इसका अहसास था लेकिन घरों से बोलने की हिम्मत नहीं दी जाती। इस तरह की बातों पर तो बिल्कुल भी नहीं । सारी मिसालें औरतों,लड़कियों के सब्र,बर्दाश्त की दी जाती यूँ भी ग़लती किसी की भी हो बदनामी लड़कियों की हो होती है,इसलिये हर हाल में चुप रहो ।


काश टीचर्स डे पर ऐसे फटीचरों को जूतों से मारने का नियम होता ।