Wednesday, 28 April 2021

 प्रेम ने प्रेम दिया,  दुनिया दिखाई पर दास भाव से.  सीखा तो  सही ही.  मनोबल तो बढ़ा ही होगा वर्ना उस वक्त कौन किसी भी तरह साथ लेता  है. पर प्रेम किसी भी तरह आक्रमक ya vigorous नहीं हुए. हो भी  नहीं  सकते  थे. 

दिलीप स्वाभाविक साथ था, उसने साथ तो  दिया पर भातृ भाव से,  कुछ कुछ प्रतियोगिता शुरू से  रही. दोष भाव के साथ साथ.  कभी खुल कर नहीं. 

आलोक ने खुल कर साथ दिया,  खूब दिया,  याद ही आता है. पर वह कभी आम नहीं हुआ. अशोक अग्रवाल,  dr तिवारी,  विनय जुड़े,  बस एक  बार.  तिवारी  ने उपयोग किया.  बाल बाल बचा एक अंधी गली से .

अग्रवाल बंधु ने साथ दिया खेल खेल में.  साधारण खिलाड़ी थे.  पर पक्के खिलाड़ी थे.  कोई संकोच  नहीं. सार्वजनिक जीवन था.  भरपूर बचपन का उपभोग. 

ट्रेन आदि के अपने अनुभव हैं. 

पावर प्ले था  संजय का,  फुल, का डब्लू का,  बिट्टू का,  शुभम का. 

श्रद्धा थी मंजय की,  संतोष की,  सुधांशु की. राहुल की ये मोडरेट थे.