Thursday, 21 December 2017

काला काले को नहीं छोड़ेगा चाहे इशरतप्रिय ही बनना पड़े या मिटींग करना पड़े या ऊँच -नीच करना कहना पड़े ।
सच पर शक, सच की परीक्षा, सच पर प्रश्न, सच की ही जाँच। असत्य को कोई जाँच फेस नहीं  करनी पड़ती। असत्य पैकिंग में महिमामंडित होता है।
सच पर शक, सच की परीक्षा, सच पर प्रश्न, सच की ही जाँच। असत्य को कोई जाँच फेस नहीं  करनी पड़ती। असत्य पैकिंग में महिमामंडित होता है।
I did not announce what I wear. It was not necessary. It is basically personal. But if I announce, I must face questions.
किसी एक को उगा दो, जगा दो, पनपा दो, देखने लायक बना-बनवा दो, आत्मविश्वास का अलख जग जाये,
लहराने की ललक जग जाये, बस !
मंच पर पढ़ोगे जो कविता मेरे हिसाब की, तो सनद औ इनाम,
लिखोगे, गाओगे, छापोगे मेरे हिसाब की, तो पद औ ओहदा !
मै हूँ पैसा औ राजा ।
किसी एक को तो पूछे जाने लायक तो बनाओ ।
तुम तो पूछो आज उसको, जिसे कोई नहीं पूछा ।
Do not erase your own identity and history.
Preserve and serve it.
Never serve if you eye a proportionate return.
Social Service is not an investment, nor profession. Let it be your Joy alone.
जीवन इच्छा, उत्साह और उन्माद का नाम है।
यह स्वयं आधारित स्वयंभू है,
अपना लक्ष्य भी स्वयं ही है ।
अपनों को अपमानित कर अपनों को खो दोगे।
अपनों को प्रेम, प्यार सानिध्य, स्विकृति से ही साथ रख सकोगे, डरा कर या हड़का कर नहीं।
हम अपराधी-प्रिय- अपराधी-अधिकार-सक्रीय पर,
पीड़ित के प्रति निरपेक्ष उदासीन न्यायाधीशीय न्यायप्रणाली के पोषक और पक्षधर हैं !
हम न्यायप्रणाली की आड़ में अपराधी को संरक्षण तथा प्रोत्साहन देतें हैं !
अंग्रेजों ने ताकतवर अपराधियों को ब्रीटीश क्राउन के प्रति वफादार बनाये रखने के लिये वर्तमान ढाँचे वाली न्यायब्यवस्था विकसित की थी।पिड़ित की उपेक्षा और अपराधी पर राज्य का प्रभाव, प्रभुत्व। अपरिधी का भविष्य अब हरदम के लिये क्राउन के हाथ । विक्टिम को नेपथ्य में रख अपराधी को डरा उपनिवेशवादी ब्यवस्था के लिये उपयोग। यह ब्यवस्था पिड़ित को न्याय देने के लिये नहीं , अपराधी को राज्य की कठपुतली बना कर रखने के लिये है। अपरिधी को राज्य के संरक्षण में निर्भय बनाने के लिये है । जिसे चाहो बचाओ, जिसे चाहो लटकाओ। जिसे चाहो अन्दर कर दो , जिसे चाहो बाहर कर दो ।
न्याय से कानून या इस ब्यवस्था को कोई लेना देना नहीं।
तुम्हारी अपनी मेहनत और साफ ज्ञात हक का सादर खिलाओगे तभी खाऊँगा। मुझे ये मत कहना, आम खाओ, कहाँ से,
किसका है- मत पूछो ।
तुमको माल-मत्ता पिलाने-खिलाने न तो मैं लूटूँगा ,न माँगूगा, न माँ -बच्चों को भूखे रखूँगा, न अपना पेट काटूँगा न पढ़ाई-लिखाई, में कमी